Monday, July 17, 2017

अब नहीं होगा महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार



    महाराष्ट्र में अब पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार करने के फरमान को दंडनीय अपराध बनाया गया है और ऐसे मामलों में दोषी को सात साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इस तरह का कानून बनाने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है।

    अतिरिक्त मुख्य सचिव :गृह: सुधीर श्रीवास्तव ने पीटीआई को बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार रोकथाम अधिनियम, 2015 को पिछले महीने मंजूरी दी और इसे तीन जुलाई को राज्य के राजपत्र में प्रकाशित किया गया।

    कानून के तहत सामाजिक बहिष्कार का फरमान जारी करने वाले जाति और समुदाय परिषद जैसे अर्द्धन्यायिक इकाइयों के सदस्यों को सात साल तक की कैद या पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    राज्य विधानसभा ने 13 अप्रैल, 2016 को विधेयक को पारित किया था और राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा था।

    Sunday, July 16, 2017

    अदालत ने प्रधानमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच कराने संबंधी याचिका रद्द की

    विशेष अदालत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सीबीआई जांच करवाने की रक्षा मंत्रालय के एक बर्खास्त अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया है।
    गौरतलब है कि अधिकारी ने मंत्रालय में भ्रष्टाचार के मामले में मोदी द्वारा कथित रूप से कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर उक्त मांग की थी।
    याचिका खारिज करने के साथ उसे ‘‘स्वीकृति के लिए अयोग्य’’ बताते हुए विशेष न्यायाधीश विरेन्द्र कुमार गोयल ने कहा ‘‘प्रधानमंत्री पर कोई लाभ लेने या कोई कीमती वस्तु लेने का कोई आरोप नहीं है.....’’ अदालत ने कहा, पूरी शकायत में ‘‘आरोपों की प्रकृति सिर्फ इतनी है कि प्रधानमंत्री कार्रवाई करने में असफल रहे’’, जिसमें ‘‘किसी भी रूप में’’ भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत धारा 14 (आदतन अपराधी) लागू नहीं होता।
    रक्षा मंत्रालय के साथ काम कर चुके के. एन. मंजूनाथ की ओर से दायर निजी याचिका पर यह आदेश आया है। मंजूनाथ को अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था।
    मंजूनाथ को केन्द्रीय प्रशासनीक पंचाट से भी इस संबंध में कोई राहत नहीं मिली। कैट ने एम्स के निदेशक को निर्देश भी दिया कि वह मंजूनाथ की मानसिक जांच करवाये।
    शिकायत करने वाले ने आरोप लगाया है कि उसने रक्षा मंत्रालय में होने वाली भ्रष्ट गतिविधियों से संबंधित अधिकारियों और प्रधानमंत्री को अवगत करवाया था।
    मंजूनाथ ने अपनी शिकायत में हालांकि केवल इतना कहा है कि प्रधानमंत्री इस संबंध में कोई कार्रवाई करने में असफल रहे।