Monday, February 27, 2017

अप्रत्याशित और अभूतपूर्व है देवेंद्र फडणवीस की सफलता

महाराष्ट्र में इस समय भाजपा का सितारा बुलंदी पर है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में पार्टी ने अप्रत्याशित और अभूतपूर्व सफलता पाई है। भाजपा के सारे विरोधी - काँग्रेस और राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी - चारों खाने चित हो चुके है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने जो कर दिखाया है, उसका सपना देखने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की अनेकों पिढियों ने खुद की आहुति दी है। इतनी कम उमर में फडणवीस ने शरद पवार जैसे घाग राजनेता पर नकेल कसी है। वसंतदादा पाटील और शंकरराव चव्हाण से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण तक न जाने कितने मुख्यमंत्रियों ने पवार को परास्त करने में अपनी जिंदगी और ऊर्जा व्यय कर दी। लेकिन इस मंजे हुए खिलाड़ी ने कभी अपनी पीठ जमीन से नहीं लगने दी। संयोग से शरद पवार इस वर्ष राजनीति में 50 वर्ष पूरे कर रहे है जबकि फडणवीस 25 वर्ष पूरे कर रहे है। ऐसे में फडणवीस ने पवार ने नेतृत्व में चलनेवाली एनसीपी को महत्त्वहीन कर दिया है। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
  यह तो मानना पड़ेगा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूब परखकर फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की गद्दी सौंपी थी। फडणवीस ब्राह्मण है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां भाजपा पहली बार अपने बूते सरकार स्थापित कर रही थी, एक ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बड़ा ही जोखिमभरा माना गया। साथ ही वे विदर्भ क्षेत्र से आते है जबकि राज्य में पश्चिम महाराष्ट्र को राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।  उस पर तुर्रा यह, कि फडणवीस ने इससे पूर्व कभी राज्य सरकार में पद नहीं संभाला था। उनके पास अगर कुछ था तो वह नागपुर के मेयर पद का अनुभव और एक बेदाग छवि।
लेकिन सत्ता संभालते ही फडणवीस ने अपने काम की वजह से लोगों में जो पैठ जमाई, कि लोग भाजपा के मुरीद हुए।
 विरोधी पार्टीयों ने उनकी जाति को भुनाने की भरकस कोशिश की। मराठा आरक्षण का मुद्दा उठाकर, उसके बहाने राज्य के हर प्रमुख शहर में मार्च निकालकर सरकार को अस्थिर करने के कई प्रयास किए गए।
लेकिन दाद देनी होगी फडणवीस की जरूरत जिन्होंने विकास का मुद्दा बराबर थामे रखा। उन्होंने विकास की केवल बातें ही नहीं की बल्कि उन पर अमल भी किया।
 आज इसी का फल है, कि महाराष्ट्र के गांव गांव में कमल खिला है।

Thursday, February 23, 2017

महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की शानदार कामयाबी

यूपी विधानसभा के चुनाव नतीजों से पहले बीजेपी के लिए ये जश्न तो बनता है। कभी महाराष्ट्र में शिवसेना की जूनियर सहयोगी रही बीजेपी ने वो कर दिखाया है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । 
महाराष्ट्र में हुए कुल 10 महानगर पालिका चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है । मुंबई और ठाणे को छोडकर शिवसेना का प्रदर्शन कहीं दमदार नहीं रहा तो कांग्रेस, एनसीपी और एमएनएस की तो मिट्टी की पलीद हो गयी।

सबसे पहले शुरुआत करतें हैं बृहन्मुंबई नगर निगम य़ानी बीएमसी से । बीएमसी चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। 227 सीटों वाली बीएमसी में जादुई आंकड़ा 114 का है। 

बीएमसी की 227 सीटों के नतीजों में शिवसेना ने 84 और बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 31, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) 7, एनसीपी 9 और अन्य ने 14 सीटों पर जीत हासिल की है। अगर इसकी तुलना पिछले चुनावों से करें तो 2012 में शिवसेना को 75 , बीजेपी को 31 , कांग्रेस को 52 , एमएनएस को 28 , एनसrपी को 13 और अन्य को 28 सीटें मिली थीं।

अगर इन नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी भली ही नंबर दो की पार्टी हो लेकिन उसके पार्षदों की संख्या में 50 का इजाफा हुआ है । बीजेपी का मुंबई निकाय चुनावों में यह अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। बीजेपी ऐसी हालत में है कि उसके बिना शायद कोई मेयर बनना ही मुश्किल होगा।

पार्टी के मुताबिक उसके पास 4 निर्दलीयों का भी समर्थन है । पार्टी ने जीत के लिए मुंबईकर को धन्यवाद दिया है और सुशासन का वादा किया है। 

शिवसेना से नाता तोड़कर अकेले चुनाव लड़ रही बीजेपी के प्रचार अभियान की कमान खुद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने संभाल रखी थी। उन्होंने न केवल इस बार अभूतपूर्व और ताबड़तोड़ प्रचार किया । पार्टी के दिग्गज नेताओं ने फडणवीस को बधाई दी है।

इन चुनावों में सबसे बड़ा झटका कांग्रेस, एनसीपी और एमएनस को लगा है । नतीजों के बाद कांग्रेस के मुंबई अध्यक्ष संजय निरुपम ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। निरुपम ने इस हार के लिए पार्टी के अंदर की कलह को जिम्मेदार ठहराया। 

बीएमसी में अच्छे प्रदर्शन के अलावा अन्य नगर निगमों में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। मुंबई और ठाणे में शिवसेना का कब्जा है जबकि उल्हासनगर, नासिक, पुणे, पिम्परी-चिंचवाड, शोलापुर, अकोला, अमरावती और नागपुर के स्थानीय निकायों में बीजेपी का कब्जा लगभग तय है।

राज्य में जिन आठ नगर निकायों पर बीजेपी कब्जा कर रही है उनके पिछले नतीजों की बात करें तो पुणे और नासिक खास मायने रखते हैं। पुणे पर जहां कांग्रेस को हराकर बीजेपी आगे आई है वहीं नासिक में उसने एमएनएस से सत्ता छीनी है।

पार्टी ने राज्य में शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे ने अपने इलाके पर्ली में जिला परिषद में हार को लेकर इस्तीफा की पेशकश की है । पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इन नतीजों पर कहा कि लोगों ने बीजेपी पर भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस और एनसीपी को खारिज कर दिया है।

बीएमसी चुनाव के नतीजे इसलिए अहम है क्योंकि बीएमसी देश की सबसे अमीर यानी सबसे ज्यादा बजट वाली महानगरपालिका है, इसका बजट 37 हजार करोड़ रुपये है । बीजेपी के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण थे क्योंकि करीब 25 साल बाद वो शिवसेना से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी।

मुंबई के साथ ही पूरे महाराष्ट्र में पार्टी को मिली यह सफलता मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के साथ साथ पार्टी संगठन के लिए बेहद अहम है। 

Tuesday, February 21, 2017

शांतिपूर्ण रहे नगर निगमों के चुनाव; नज़र अब बीएमसी पर

महाराष्ट्र के बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) सहित दस अन्य नगर निगमों के चुनावों के लिए आज मतदान हुआ। मुंबई के सियासी गलियारे पर किसका राज होगा ये फैसला ईवीएम में बंद हो गया है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला अलग होकर चुनाव लड़ रहीं भाजपा और शिवसेना के बीच है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस चुनाव के लिए अपनी-अपनी पार्टियों का नेतृत्व करते हुये जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया। विपक्षी कांग्रेस और राकांपा ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है।
जिन 10 नगर निगमों में चुनाव हो रहे हैं उनमें मुंबई, ठाणे, उल्हासनगर, नासिक, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, सोलापुर, अकोला, अमरावती और नागपुर शामिल हैं। साथ ही रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सतारा, सांगली, कोल्हापुर, पुणे, सोलापुर, नासिक, अमरावती और गढ़चिरौली में भी मतदान हुआ। इन जिलों की 118 पंचायत समितियों में चुनाव हो रहा है। राज्य में 43,160 मतदान केंद्रों पर मतदान सुबह साढ़े सात बजे शुरू हुआ। चुनाव ड्यूटी पर 2.76 लाख चुनाव कर्मचारी और करीब इतनी ही संख्या में पुलिस कर्मी तैनात किये गये थे।
हालांकि इनमें बीएमसी के चुनाव पर सबकी आंखे टीकी हुई है। शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में आई तनातनी के बीच हो रहे ये चुनाव मुंबई तथा महाराष्ट्र की राजनीति के लिए काफी अहम हैं। 37 हज़ार करोड़ रुपये वाली मुंबई महानगरपालिका को देश की सबसे अमीर महानगरपालिका माना जाता है। जानकारों की माने तो कहने को यह केवल स्थानीय निकाय के चुनाव हैं लेकिन देश की सभी बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की इज्जत दांव पर लगी है। पिछले कुछ समय से जारी जुबानी जंग के बीच करीब 25 सालों में पहली बार बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। उद्धव ठाकरे के साथ-साथ सीएम देवेंद्र फडणवीस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। 
बृहन्मुंबई महानगरपालिका के लिए करीब पौने तीन करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया। यहां 55 प्रतिशत वोटिंग हुई जो एक रिकार्ड है।
यहां 227 सीटों के लिए 2275 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चुनाव के नतीजे  23 फरवरी को आएंगे।
मतदान के दौरान हर वर्ग की अच्छी हिस्सेदारी देखने को मिली। महिलाएं, युवा और बुजुर्ग भी बढ़चढ़ कर मतदान के लिए पहुंचे। चुनाव में तमाम जानी-मानी हस्तियां वोटिंग के लिए पहुंचीं। राजनेताओं की बात करें तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मुंबई में वोट डाला।
फिल्म अभिनेत्री रेखा और फिल्म निर्देशिका जोया अख्तर ने बांद्रा इलाके में मतदान किया। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और संदीप पाटिल भी वोट डालने पहुंचे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में मतदान किया। 
बीएमसी चुनाव के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पहले के चुनाव बीजेपी-शिवसेना साथ मिलकर लड़ी थीं। 2012 शिवसेना ने 75 सीटें जीती थीं, जबकि 2007 में शिवसेना के खाते में 84 सीटें गई थीं। वहीं 2012 में बीजेपी के खाते में 31 सीटें आई थीं। 2007 में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
राज्य चुनाव आयुक्त जे. एस. सहारिया के अनुसार, प्राथमिक तौर पर राज्य में नगर निगमों के चुनावों में औसतन 56.30 प्रतिशत तथा 11 जिल्हा परिषदों एवं 118 पंचायत समितियों के लिए औसतन 69.43 प्रतिशत मतदान हुआ।



Monday, February 20, 2017

कर्मठ विदर्भवादी थे जांबुवंतराव धोटे

 पूर्व लोकसभा सांसद और अलग विदर्भ आंदोलन के कट्टर समर्थक जांबुवंतराव धोटे का हाल ही में यवतमाल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एक कर्मठ विदर्भवादी के रूप में वे जाने जाते थे। परिवार के मुताबित धोटे की उम्र 83 वर्ष थी और उनके परिवार में पत्नी अैर दो बेटियां हैं।

धोटे की बेटी क्रांति ने पीटीआई को बताया, कि उनके पिता को दिल की बीमारी थी। सुबह करीब तीन बजे उन्हें कुछ बेचैनी महसूस हुई और वो अकेले ही यवतमाल के सरकारी अस्पताल गए। अस्पताल में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

धोटे की पहचान तेज तर्रार नेता की थी और उन्हें पूर्वी महाराष्ट्र में अलग राज्य की मांग के लिए आक्रामक रूख की वजह से विदर्भ का शेर कहा जाता था। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर गृह जिले यवतमाल से शुरू किया जहां उन्होंने नगर परिषद चुनाव जीता। इसके बाद धोटे ने राज्य-स्तरीय सियासत में पदार्पण किया। 

धोटे पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए जबकि 1971 में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक उम्मीदवार के तौर पर पहला लोकसभा चुनाव जीता। 1980 में धोटे कांग्रेस के टिकट से लोकसभा के लिए चुने गए। धोटे का अंतिम संस्कार यवतमाल के पिंपरी लखीना गांव में किया जाएगा। 

निराश किसान ने प्याज की खेत में आग लगाई

महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक किसान ने हताशा के चलते खेत में अपनी प्याज की फसल को आग लगा दी।

योला तहसील में नागरसुल के निवासी कृष्णा डोंगरे ने कहा कि कीमतें धराशायी होने की वजह से कल उसने अपने ढाई एकड़ खेत में प्याज की फसल जला दी।

डोंगरे ने कहा, ‘‘ मैंने मेरे खेत में इस फसल पर तीन लाख रपये खर्च किए हैं, लेकिन व्यापारियों ने नीलामी में प्याज खरीदना बंद कर दिया है। किसान इस जिले में बेहतर मूल्य की मांग करते हुए सड़क जाम कर रहे हैं। नोटबंदी से भी मांग प्रभावित हुई है। यदि आज मैं अपनी फसल बेचता तो मुझे केवल 60,000 रपये मिलते।’’ लासलगांव की कृषि उत्पाद विपणन समिति के अध्यक्ष जयदत्ता होलकर ने कहा कि पिछले कई दिनों से प्याज की कीमतें गिर रही हैं और किसानों को उनकी उत्पादन लागत तक वसूल नहीं हो पा रही है। कुछ जगहों पर प्याज की कीमतें गिरकर 100-150 रपये प्रति क्विंटल तक आ गई हैं।

Sunday, February 19, 2017

शिव सेना के लिए भाजपा है कोबरा

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए प्रचार आज, 19 फरवरी, को समाप्त हुआ। इस बीच शिव सेना भाजपा पर हमले तेज करते हुए अपने पूर्व सहयोगी को ‘कोबरा’ बताया। शिव सेना इससे पूर्व कह चुकी है, कि भाजपा के साथ उसके गठबंधन में 25 साल सड़ गए।

भाजपा को लेकर शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘हमारा गठबंधन पिछले 25 साल से कोबरा के साथ था, जो कि अब अपना फन निकाल रहा है। मैं जानता हूं, इसे कैसे कुचला जाता है।’’ शिव सेना प्रमुख राज्य में 21 फरवरी को होने वाले निकाय चुनाव के लिए कल शाम एक रैली को संबोधित करते हुए ये बातें कह रहे थे।

उन्होंने कहा कि सेना पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहती थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि इन्होंने झूठे वादे और आश्वासन देकर जनता के साथ धोखेबाजी की है।

चुनाव प्रचार के शुरआती दौर में उद्धव ने फडणवीस सरकार को ‘नोटिस पीरियड’ पर रखा था और भाजपा के साथ चुनाव के बाद किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार कर दिया था। हालांकि राज्य में सरकार को अपनी पार्टी के समर्थन के मुद्दे पर उन्होंने थोड़ी नरमी बरतते हुए कहा कि पार्टी का समर्थन इस बात पर निर्भर करेगा कि वह राज्य में परेशान किसानों के कर्ज माफी की मांग को पूरा करती है या नहीं।