Monday, July 17, 2017
अब नहीं होगा महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार
Sunday, July 16, 2017
अदालत ने प्रधानमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच कराने संबंधी याचिका रद्द की
विशेष अदालत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सीबीआई जांच करवाने की रक्षा मंत्रालय के एक बर्खास्त अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि अधिकारी ने मंत्रालय में भ्रष्टाचार के मामले में मोदी द्वारा कथित रूप से कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर उक्त मांग की थी।
याचिका खारिज करने के साथ उसे ‘‘स्वीकृति के लिए अयोग्य’’ बताते हुए विशेष न्यायाधीश विरेन्द्र कुमार गोयल ने कहा ‘‘प्रधानमंत्री पर कोई लाभ लेने या कोई कीमती वस्तु लेने का कोई आरोप नहीं है.....’’ अदालत ने कहा, पूरी शकायत में ‘‘आरोपों की प्रकृति सिर्फ इतनी है कि प्रधानमंत्री कार्रवाई करने में असफल रहे’’, जिसमें ‘‘किसी भी रूप में’’ भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत धारा 14 (आदतन अपराधी) लागू नहीं होता।
रक्षा मंत्रालय के साथ काम कर चुके के. एन. मंजूनाथ की ओर से दायर निजी याचिका पर यह आदेश आया है। मंजूनाथ को अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था।
मंजूनाथ को केन्द्रीय प्रशासनीक पंचाट से भी इस संबंध में कोई राहत नहीं मिली। कैट ने एम्स के निदेशक को निर्देश भी दिया कि वह मंजूनाथ की मानसिक जांच करवाये।
शिकायत करने वाले ने आरोप लगाया है कि उसने रक्षा मंत्रालय में होने वाली भ्रष्ट गतिविधियों से संबंधित अधिकारियों और प्रधानमंत्री को अवगत करवाया था।
मंजूनाथ ने अपनी शिकायत में हालांकि केवल इतना कहा है कि प्रधानमंत्री इस संबंध में कोई कार्रवाई करने में असफल रहे।
Monday, February 27, 2017
अप्रत्याशित और अभूतपूर्व है देवेंद्र फडणवीस की सफलता
महाराष्ट्र में इस समय भाजपा का सितारा बुलंदी पर है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में पार्टी ने अप्रत्याशित और अभूतपूर्व सफलता पाई है। भाजपा के सारे विरोधी - काँग्रेस और राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी - चारों खाने चित हो चुके है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने जो कर दिखाया है, उसका सपना देखने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की अनेकों पिढियों ने खुद की आहुति दी है। इतनी कम उमर में फडणवीस ने शरद पवार जैसे घाग राजनेता पर नकेल कसी है। वसंतदादा पाटील और शंकरराव चव्हाण से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण तक न जाने कितने मुख्यमंत्रियों ने पवार को परास्त करने में अपनी जिंदगी और ऊर्जा व्यय कर दी। लेकिन इस मंजे हुए खिलाड़ी ने कभी अपनी पीठ जमीन से नहीं लगने दी। संयोग से शरद पवार इस वर्ष राजनीति में 50 वर्ष पूरे कर रहे है जबकि फडणवीस 25 वर्ष पूरे कर रहे है। ऐसे में फडणवीस ने पवार ने नेतृत्व में चलनेवाली एनसीपी को महत्त्वहीन कर दिया है। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
यह तो मानना पड़ेगा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूब परखकर फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की गद्दी सौंपी थी। फडणवीस ब्राह्मण है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां भाजपा पहली बार अपने बूते सरकार स्थापित कर रही थी, एक ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बड़ा ही जोखिमभरा माना गया। साथ ही वे विदर्भ क्षेत्र से आते है जबकि राज्य में पश्चिम महाराष्ट्र को राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। उस पर तुर्रा यह, कि फडणवीस ने इससे पूर्व कभी राज्य सरकार में पद नहीं संभाला था। उनके पास अगर कुछ था तो वह नागपुर के मेयर पद का अनुभव और एक बेदाग छवि।
लेकिन सत्ता संभालते ही फडणवीस ने अपने काम की वजह से लोगों में जो पैठ जमाई, कि लोग भाजपा के मुरीद हुए।
विरोधी पार्टीयों ने उनकी जाति को भुनाने की भरकस कोशिश की। मराठा आरक्षण का मुद्दा उठाकर, उसके बहाने राज्य के हर प्रमुख शहर में मार्च निकालकर सरकार को अस्थिर करने के कई प्रयास किए गए।
लेकिन दाद देनी होगी फडणवीस की जरूरत जिन्होंने विकास का मुद्दा बराबर थामे रखा। उन्होंने विकास की केवल बातें ही नहीं की बल्कि उन पर अमल भी किया।
आज इसी का फल है, कि महाराष्ट्र के गांव गांव में कमल खिला है।